काला काला ये दृष्य सारा, कैसी विचित्र है ये विचार धारा!

I LIKE TO EXPLORE THE DARKER SIDE....

काला काला ये दृष्य सारा, कैसी विचित्र है ये विचार धारा!

आकाश मे बिजली कड़क रही है, फिर भी आंखे बरसात को तरस रही है!

भूचाल से ग्रसित भूमि का हर कण, मैला पड़ा है घर का हर दडपण!

दिल धड़क रहा पर देह मूर्छित है, सांसे चल रही है, ये कहना अनुचित है!

घडी की टिक टिक कुछ कह रही है, देखो समय की धारा तेजी से बह रही है!

आने वाला सूरज कब उदय होगा? जीवन जो थम गया है, क्या उसका समय की धारा से कभी विलय होगा?

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Prashant Chand

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