Sitting on the roof I looked at the sky thoughts flew away into the infinite…moon smiled at me it said sleep over there is nothing to hide.
KAVITA
दूर आकाश में एक उड़ता पंछी पहने पर सपनों के, कहने को वह मस्त मलंग था, रहता डूबा वह अपनों में, बादल मानो उम्मीद का दरिया, उच्चाई पर ही थी उसकी दिनचर्या। फिर छाया काला ऐसा बादल, बिजली कड़ाकी मचा कोलाहल, पंछी देख के उसको घबराया, उसके कुछ भी सूझ न आया, दिल धड़का सांसें रुक सी गई थीं। सोच से पहले समझ थम गई थी। पंछी आंखें तक बंद न कर पाया, सर धरती पर आंखों में था अंधकार छाया।
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